चलो मंजूर है तेरी बेरुखी मुझको बस इतना करो कि बेवफा मत होना
एक मशविरा चाहिए, ख़ुदकुशी करूं या इश्क..
~ बड़ा अजीब सा जहर था उसकी यादों का सारी उम्र गुजर गयी मरते – मरते .. ^
मेहनत इतनी खामोशी से करो कि . “सफलता शोर मचा दे”
क्यों याद करेगा कोई बेवजह मुझे ऐ खुदा , लोग तो बेवजह तुम्हे भी याद नहीं करते !!”
लोग आँसुओं मे पढ़ते थे नाम तेरा.. इसीलिए हमने रोना छोड़ दिया.. :)) –
दर्द आवाज छीन लेता है ओर खामोशी की कोई वजह नही होती
इतनी शिकायत , इतनी शर्तें , इतनी पाबन्दी, तुम मोहब्बत कर रहे हो या सौदा कोई !!
~Woh Roz Jorhtah Haii Mujhe, Phiir Se Torhney Ke Liiye .. ‘
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Comment *
Name *
Email *