वो बड़े घर की थी साहब, . छोटे से दिल में कैसे रहती.
साथ चलता है मेरे दुआओ का काफिला . किसमत से कह दो अकेला नही हुँ मै
~Woh Ab Lakhon Dilon Se Khelta Haii, . . Mujhe Pehchan Ley Itna Bohat Haii .. ‘
मुकाम वो चाहिए मुझे, की जिस दिन भी हारु , . उस दिन जीतने वाले से ज्यादा मेंरे चर्चे हो
मेहनत इतनी खामोशी से करो कि . “सफलता शोर मचा दे”
काजल ज़रूरी है तुम्हारी आँखों को, मेरी आँखों को डूबने की हद्द पता रहती है..
~Jaley Ka Ilaaz Burnol Se .. Jealousy Ka Ilaaz Chitrol Se .. ^
! वो अब भी आती है ख्वाबों में मेरे.. ये देखने की मैं उसे भूला तो नहीं…..!!
छोड़ना आसान होता है लेकिन भूलना नही
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