Preet Singh Leave a comment कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी; कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी; बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने; आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी। Copy