ना पूछ मेरे सब्र की इंतेहा कहाँ तक हैं,
तू सितम कर ले, तेरी हसरत जहाँ तक हैं,
वफ़ा की उम्मीद, जिन्हें होगी उन्हें होगी,
हमें तो देखना है, तू बेवफ़ा कहाँ तक हैं..
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इस तरह से लूटा है हमें इश्क-ए-तमन्ना नें, कि ज़िन्दगी भी छीन ली और जान से भी नही मारा …!!
कोई मेरी नींद से कहे की मेरे साथ समझौता कर ले…. क्यों की वो “लवप्रीत ” से बहुत दूर जा Continue Reading..
नफ़रत करना है तो इस क़दर करना, के हम दुनिया से चले जाए पर तेरी आँख में Ansu ना आए।
हमसे पहले भी कोई था, हमारे बाद भी कोई होगा ना रहेंगे हम भी तो, किसी को कोई गम ना Continue Reading..