Preet Singh Leave a comment मोहब्बत का मेरे सफर आख़िरी है, ये कागज कलम ये गजल आख़िरी है, मैं फिर ना मिलूँगा कहीं ढूंढ लेना, तेरे दर्द का अब ये असर आख़िरी है। Copy