‘यहां अलमारी में दवाई पड़ी है किसी ने छेड़ा किया इसे?’
‘मैंने अभी एक गोली गटक ली है इसमें से।’
“ओफ्फो! वो मेरी दवाई थी, सरदर्द के लिये। आपकी दवाई वहां किताब के पास रखी है। आपको को कुछ पता ही नही चलता। मोबाइल में खोये रहते हो।
…. दोस्तो का बुलावा आये तो सब याद रहता है…. …..
…..कोई परवाह नहीं… …
….घर में क्या हो रहा है…. ….
…. …. कल भी ऐसा…
… उस दिन भी वैसा… …
…मैं क्या कह रही हूँ। कुछ सुनाई भी पड़ रहा है? समझ आ रहा है? या यूँ ही खाली बक बक कर रही हूँ?”
“अरे नहीं, तुम बोलती रहो। सरदर्द_की_गोली वसूल हो रही है।”