संता :– अज्ज पता नहीं, स्वेरे-स्वेरे, किस मनहूस की शक्ल देखी थी, सारा दिन बहोत बुरा गुजरा …..
बंता :– ओ किवें ???
संता :– दरवज्जा खोला , ते कुंडी हत्थ विच आ गई ,
…. नलका खोला, ते टूटी हत्थ विच आ गई !!!!
…..ब्रीफ़-केस खोलण लग्या सी ते ओद्दा हैंडल ही हत्थ विच आ गया ……
बंता :– ते फेर ???
संता :– फ़ेर की, हुण समझ नहीं आ रया… पेशाब करां के ना करां