Preet Singh Leave a comment हवा की लहर बनकर.. तू मेरी खिड़की न खट खटा… मैं बन्द दरवाजे में तूफान समेटे बैठा हूँ….!!!! इस कविता में कवि अपनी गर्ल फ्रेंड को संकेत दे रहे है कि वो अपनी पत्नी के साथ बैठे है, कृपया मिस कॉल ना दे.. Copy