जाड़ की प्रोब्लम चैक करवाने आया था एक प्राइवेट अस्पताल मैं …
डॉक्टर के रूम के सामने बैठ्या अपणी बारी की इंतजार करूं था … जब्बे रूम के बाहर लगी नेम प्लेट पै नजर पड़ी …
डॉक्टर नंदिता गुप्ता
दिल की धड़कन थोड़ी तेज हो गई … म्हारी क्लास की सबतै खूबसूरत छोरी थी वा , मेरा बी क्रश थी वा पर हाए रै शर्म कदे कहण की हिम्मत ई ना होई …
मेरा नंबर आ गया … सामने कुर्सी पै बैठी थी वा , प्यारी प्यारी आँखो पै चश्मा चढ़ गया था , गाल पहले तै मोटे अर थोड़े लाल हो गए थे … कमर बी थोड़ी भारी हो गई थी …
फेर बी जबर्दस्त लगरी थी …
चैकअप के बाद वा दवाई की पर्ची बणान लाग्गी तो मैं बोल्या :- नंदिता नाम है ना तेरा …
उसके गुलाब की पंखड़ियों जैसे होंठो मैं हरकत सी होई :- जी
… MASD स्कूल में पढ़ती थी ना तुम
अचानक उसनै अपनी हिरणी जैसी आंखे उपर ठाई अर बोली :- हांजी वहीं पढ़ी हूं ,
… 2001 में प्लस टू किया था
अपनी परियों जैसी जुल्फें झटक के बोली :- अरे आपको कैसे पता सब …
मैं अपनी आंखे उसकी आंखों मैं डाल कै रोमांटिक सा होकै बोल्या :- याद करो नंदिता उसी स्कूल में था मैं भी …
आगे तै वा मोटी
थुलथुल
धोली भैंस
आंधी चश्मिश
बोली :- ओह अंकल … सॉरी … सर कौनसी क्लास को पढ़ाते थे आप …
बड़े बेआबरू हो के तेरे कूचे से हम निकले …