एक बार हरियाणे का ताऊ विदेश घूमने गया।
वहाँ एक इत्र की दुकान देख कर रुका और दुकान वाले से इत्र माँगा।
काफी देर देखने के बाद ताऊ को एक इत्र की छोटी सी शीशी पसन्द आई पूछा कितने की है।
हिसाब लगाकर दुकानदार बोला 500 रुपये की है।
ताऊ बोला दे दे।
दुकानदार अंदर गया और वैसी ही एक शीशी लाकर ताऊ को दे दी।
ताऊ:-रे बावला हो रहा है के मैंने तो ये वाली शीशी खरीदी है।
दुकानदार:-अरे सब एक जैसा ही है ये तो शोरूम है गोदाम अंदर है।गोदाम से दिया है।।
ताऊ से पूरा इत्र अपनी मूंछो में लगा लिया।ताऊ की मूंछे एकदम चकाचक चमकदार हो गयी।
ताऊ की मूंछे देखकर दुकानदार ने सोचा ऐसी मूंछे हमारे यहाँ तो होती नही है क्यों न मैं ये मूंछे अपने शोरूम में लगाऊँ शोरूम की शोभा बढ़ जायेगी। वो ताऊ से बोला:-मूंछ बेचोगे क्या?
ताऊ:-रे बाबला हो रेया है के मूंछ म्हारी पहचाण से ,मैं न बेचता।
दुकानदार ताऊ के पैरों पर गिर पड़ा और तब तक ताऊ के पैर न छोड़े जब तक ताऊ मान न गये ।।
बात होते होते बात 50000 पर तय हो गयी। ताऊ ने रूपये लिये और अगले दिन मूंछ देने का वादा कर के चले गये।।
अगले दिन ताऊ दुकान पर गये और दुकानदार को हाथ आगे करने को कहा। दुकानदार ने हाथ बढ़ाया तो ताऊ ने बालों का गुच्छा उसके हाथ पर रख दिया।।
दुकानदार:-ये क्या है मैंने तो ये वाले ख़रीदे थे।
ताऊ:-रे सब एक जैसा ही है ये शोरूम है गोदाम तो अंदर है ।गोदाम से दिया है।।
दुकानदार:-😫😩😩😫😫
Indian reactive wisdom