हिमाचल की वादियों में आज भी ये कहानी गूंजती है …
पति ऑफिस के काम से हमेशा टूर पे रहता था … पत्नी रिक्वैस्ट करती :- कभी मुझे भी साथ ले जाया करो …
इस बार पति को मनाली जाना था पत्नी थोड़े प्यार से , थोड़ी मनुहार से , थोड़ा जबरदस्ती करके साथ होली … रात को मनाली पहुंचे , एक मिडल क्लास होटल में फर्स्ट क्लास रूम लिया … दोनों थके थे , बढ़िया सा खाना खाया और सो गए …
पत्नी सुबह उठकर बर्फ से लदी पहाड़ियों में घूमने के सपनों में खो गई …
सुबह छह बजे अचानक पति का मोबाइल बजने लगा … आधी नींद में उनींदा सा पति करवट बदलते हुए बोला :- डार्लिंग उठाइए मतना मेरी घराली का होगा …
कहते हैं उसके दो क्षण बाद पति की गगन भेदी चित्कारें इधर कुल्लू और उधर रोहतांग दर्रे तक सुनी गई …
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