एक बूढ़ा और एक बुढ़िया थे। बूढ़ा बुढ़िया को बहुत प्यार करता था। बुढ़िया जहाँ जाती बूढ़ा उसके पीछे-पीछे जाता। जैसे की बुढ़िया बरतन धोती, बूढ़ा उसके पीछे खड़ा हो जाता। बुढ़िया घर का कोई भी काम करती बूढ़ा उसके पीछे रहता । वह बुढ़िया को एक सेकंड के लिए भी अकेला नहीं छोड़ता था। इससे बुढ़िया बहुत परेशान हो गयी । बुढ़िया के घर से उसकी माँ के फ़ोन आ रहे थे की बेटी एक बार मिलने आजा पर बुढ़िया कैसे जाए बूढ़ा तो उसे अकेला छोड़ता ही नहीं। तब बुढ़िया ने कुछ सोचा, उसने बूढ़े से कहा- चलो जी आज हम छुप्पन-छुप्पआई खेलते है । तुम छुपो मैं तुम्हे ढूंढूंगी। बूढ़ा जाकर छुप गया । बुढ़िया जल्दी से दुसरे कमरे में गयी वहां से उसने अपना बक्सा उठाया । और जल्दी से अपनी माँ के घर पहुच गयी। अपनी माँ के घर पहुचकर बक्सा रखकर बोली चलो बूढ़े से छुटकारा तो मिला । और जैसे ही उसने बक्सा खोला बूढ़ा बोला धप्पा।।।


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