जब मैं दुकान पहुंचा बीवी का फोन आया, बोली आज क्या तारीख है?
मैं घबराते हुए बोला ..6 अगस्त।
उसने फोन काट दिया।
अब मैं काफी डर रहा था और सोचने लगा. उसका जन्मदिन….नही, मेरा जन्मदिन…..नही, हमारी सालगिरह… नही बच्चो के जन्मदिन. .नही, सास ससुर का जन्मदिन/सालगिरह..नही। सिलेंडर बुकिंग…करवा चुका। डिस, मोबाइल, बिजली बिल, पेपर बिल, दूध बिल सभी का भुगतान..हो गया।
तो.. तारीख क्यो पूछी उसने ?
मेरा लंच और शाम की चाय भी इसी सोच और भय में गुजरी। खैर मैं शाम को घर पहुंचा। छोटे वाला लड़का पार्क में खेल रहा था। मैंने उससे पूछा.. घर का मौसम कैसा है..? बवंडर या सुनामी ?
बेटे ने कहा..सब ठीक है पर आप क्यो पूछ रहे हो पापा ??
मैंने कहा..सुबह तुम्हारी मम्मी ने आज की तारीख पूछी थी।
लड़का मुस्कुराया और बोला.. आज सुबह मैंने कैलेंडर में से कुछ पन्ने फाड़ लिए थे..शायद इसलिए वो कन्फ्यूज्ड हो गई होगी। 😊😊😊
यकीन मानिये।
एक शादीशुदा आदमी का जीवन दहशत से भरा है।