मुरारी बापू का छत्तीसगढ़ में दोपहर में प्रवचन चल रहा था, बीच में एक अनाउंसमेंट हुआ कि “” बाबू लाल जहाँ भी हो अपने घर चले जाये । उनकी पत्नी , उनका इंतज़ार कर रही है”

बाबू लाल उठकर जाने लगा तभी कुछ दूर पर बैठी हुई उसकी पत्नी बोली :

“बैठ जा , बैठ जा …
मैं ये देख रही थी कि प्रवचन में ही आया है , दारू भट्टी में लाइन लगाने को तो नहीं चला गया !


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