सांपो के मुक्कदर में.. वो जहर कहाँ, जो आजकल इन्सान सिर्फ बातों मे ही उगलतें है।
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वो कहते हैं हम जी लेंगे खुशी से तुम्हारे बिना, हमें डर है वो टूटकर बिखर जायेंगे हमारे बिना।
तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ ..!!
हद से ज्यादा बढ चुका है तेरा नजरअंदाज करना; ऐसा सलूक ना करो कि हम भूलने पर मजबूर हो जाये…!
सिर्फ एक ही तमन्ना रखते हैं हम अपने दिल में… बस महोब्बत से याद करो चाहे मुद्दतों न बात करो..
Gham_e_khas perr kabhi chup rhy … Kabhi rO diy gham_e_aam per …!!!
न जाने जिंदगी का,ये कैसा दौर है इंसान खामोश हैं और ऑनलाइन कितना शोर है…
दोस्तों ने हमें कूटा , दुश्मन में कहाँ दम था, पिट पिट के भी हँसता रहा, मैं इतना बेशरम था
बड़े अजीब से हो गए रिश्ते आजकल.. सब फुरसत में हैं पर वक़्त किसी के पास नही