तू याद रख, या ना रख… तू याद है, ये याद रख…
सोचता हूं कि अब खुद पर ही इल्जाम लगा दूं, . दिल मानता ही नहीं कि वो बेवफा है
एहसान जताना जाने कैसे सीख लिया.. मोहब्बत जताते तो कुछ और बात थी।
वो लफ्ज कहां से लाऊं जो तेरे दिल को मोम कर दें….!! मेरा वजूद पिघल रहा है तेरी बेरूखी से……!!
लफ्ज़ पहचान बने मेरी तो बेहतर है..!! चेहरे का क्या है, साथ ही चला जाएगा एक दिन
Dil Kare To Phir Se Wafa Karne Aa Jana… Dil Hi To Toota Hai, Jaan To Abhi Baqi Hai…!!
मेरी दिल की दिवार पर तस्वीर हो तेरी _ और तेरे हाथों में हो तकदीर मेरी..! –
मंजिल नजदीक ही थी कि बीच में तूफ़ान आ गया …!! फिर जो मुझ पर गुज़री वो किनारों से पूछ Continue Reading..
किस्मत तो लिखी थी मेरी सोने की कलम से, पर इसका क्या करें कि स्याही में ज़हर था..
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