जो भी आता हे समजा के चला जाता हे………. पर कोई समझने वाला नही मिलता
तेवर तो हम वक्त आने पर दिखायेँगेँ.. शहर तुम खरीद लो हूकूमत हम चलायेँगेँ
ना हाथ थाम सके ना पकड़ सके दामन, बेहद ही करीब से गुजर कर बिछड़ गया कोई !!
काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता, बात करना ना सही, देखना तो नसीब होता
बहन का प्यार है इसमें हिफाज़त का तक़ाज़ा भी, इसी रेशम के धागे पर कलाई नाज़ करती है।
~Zyada Kuch Naii Badla Haiin Tere Mere Beech Mein, Pehle Nafrat Na Thi Ab Pyar Nahii Haii .. ‘
•●~Halkii Halkii Sii Sard Hawaa Zara Zara Sa Dard’E-Dil Andaaz Accha Haii November Tere Aane Ka .. ‘
सोचते हैं जान अपनी उसे मुफ्त ही दे दें , इतने मासूम खरीदार से क्या लेना देना ।
Suno Sahib Kabhi Humse Bhi Puch Liya Karo Haal e Dil Kabhi Hum Bhi Yeh Keh Sakein Ke, DUA Hai Continue Reading..
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