जरा तो शर्म करती तू पगली. मुहब्ब्त चुप चुप के और नफरत सरे आम.
फिर से तेरी यादें मेरे दिल के दरवाजे पे खड़ी हैं वही मौसम, वही सर्दी, वही दिलकश ‘जनवरी’ है !!
तुमने जो दिल को छुना छोड़ दिया, लफ्जों ने खूबसूरत होना छोड़ दिया.
कुछ गुनाह तो तेरे भी होंगे, तभी खुदा ने मुझे तुझसे जुदा कर दिया. .
*मैंने माँगा था थोड़ा सा उजाला अपनी ज़िन्दगी में* *चाहने वालो ने तो आग ही लगा दी…!
जी रहे है तेरी शर्तो के मुताबिक़ ए जिंदगी, दौर आएगा कभी, हमारी फरमाइशो का भी….!!
Itna asaan nahin tha mujh ko bhulaana, Uss ne khud ko ganwaa diya ho ga..
इतना आसान नही जीवन का किरदार निभा पाना, इंसान को बिखरना पड़ता है रिश्तो को समेटने के लिए.
जिँदगी से आप जो भी बेहतर से बेहतर ले सको ले लो क्योकि जिँदगी जब लेना शुरू करती है तो Continue Reading..
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