जरा तो शर्म करती तू पगली. मुहब्ब्त चुप चुप के और नफरत सरे आम.
“Kabhe be wajha yun he baras parti hain ankhen” “Oudas hone ka koi sabab nahe hota”
~Uss Mor Se Shuru Karain Aa Phir Se Zindagi, Jab Har Sham Haseen Thi Or Hum-Tum The Ajnabii .. ‘
मुमकिन नहीं है हर रोज मोहब्बत के नए किस्से लिखना, मेरे दोस्तों अब मेरे बिना अपनी महफ़िल सजाना सीख लो।
उपलब्यधियाँ और आलोचनाएँ एक दुसरे की मित्र है उपलब्यधियाँ बढेगी तो निशचित ही आपकी आलोचनाएँ भी बढेगी
फासले कहाँ मोहब्बत को कम कर पाते है ,,,,, बिना मुलाकात के भी कई रिश्ते ,अक्सर साथ निभाते है।
कुछ नहीं है आज मेरे शब्दों के गुलदस्ते में, कभी कभी मेरी खामोशियाँ भी पढ लिया करो…!
~Bicharne Wale Tere Liye Ek Mashwara, Haii Kabhii Hamara Khayal Aye To Anyy Dena .. ‘
कुछ खूबसूरत पलों की महक सी हैं तेरी यादें, सुकून ये भी है कि ये कभी मुरझाती नही..
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