मुझे फर्क नहीं पता अपनो और गैरो का, हर कोई हँसा है मुझे रोता देखकर
तोड़ दिये मैंने घर के सारे ही आईने, क्यूंकि इश्क में हारे हुए लोग मुझे बिल्कुल पसंद नहीं ।।
अधिक सीधा-साधा होना भी अच्छा नहीं होता है, सीधे वृक्ष सबसे पहले काट लिये जाते हैं।
मुद्दते हो गई चुप रहते.. कोई सुनता तो हम भी कुछ कहते…!!!
फुरसत अगर मिलें तो…मुझे पढ़ना जरूर,, शायद….. मैं ही तेरी उलझनों का…मुकम्मल जवाब हूँ…..!
: एक वक़्त था जब हम सोचते थे कि हमारा भी वक़्त आएगा , …. और एक ये वक़्त है Continue Reading..
तुम्हे क्या पता की किस दर्द में हूँ मैं, जो कभी लिया ही नहीं उस कर्ज में हूँ मैं
usay jany ki jaldi the “”””””‘so”””” man ankhon he ankhon man JAHAN tak chor sakta tha wahan tak chor aya Continue Reading..
मोह्ह्ब्ब्त की कहानी को मुकम्म्ल नही कर पाये… अधूरा था जो किस्सा अधूरा ही छोड आये
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