कितना अच्छा होता…तुम जो मतलबी होते… और तुम्हें सिर्फ….मुझसे ही मतलब होता…
Dil bhi gustakh ho chala tha mera.. Shukar he aap be wafaa niklay..
दश्त था, सेहरा था, तन्हाई थी, वीरानी थी, अपने ही अपने नही थे…बस यही हैरानी थी.
बंध जाता है जब किसी से जब रूह का बंधन, तो इज़हार-ऐ-मोहब्बत को “अल्फ़ाज़ों” की ज़रूरत नहीं होती.
मैं कौन हूँ यह पता चल जाये तोह मुझे भी बता देना… —” काफी दिनों से तलाश है मुझे मेरी Continue Reading..
मैं भी कभी हँसता, खेलता था….!! कल एक पुरानी तस्वीर में, देखा था खुद को.
मेरे कंधे पर कुछ यूँ गिरे तेरे आंसू, कि सस्ती सी कमीज़ अनमोल हो गयी.!!
जिंदगी में बडी शिद्दत से निभाओ अपना किरदार, कि परदा गिरने के बाद भी तालीयाँ बजती रहे……!!!
असल मे वही जीवन की चाल समझता है जो सफर की धुल को भी गुलाल समझता है
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Comment *
Name *
Email *