तुम तो मुझे रुलाकर दूर चले गये.. मै किससे पूछूँ मेरी खता क्या है..
कमाल का जिगर रखते है कुछ लोग, दर्द पढ़ते है और आह तक नहीं करते।
इतने जालिम न बनो कुछ तो दया सीखो, तुम पे मरते हैं तो क्या मार ही डालोगे।।
इश्क हुआ है तुझसे,बस यही खता है मेरी, तू मोह्बत है,और तू ही कमजोरी है मेरी।
तेरी तलाश में निकलु भी तो क्या फायदा, तु बदल गया हैं ,खोया नही हैं ।
तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी, और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ..!
काश मेरा घर तेरे घर के करीब होता, बात करना ना सही, देखना तो नसीब होता
कैसे करूँ मैं साबित…कि तुम याद बहुत आते हो… एहसास तुम समझते नही…और अदाएं हमे आती नहीं…
Badal jate hai Wo Log bhi Waqat ki trah… Jinhe Hum Hadd se Jyada Waqat dete hai…!!
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