मन्दिर मस्जिद सी थी मोहब्बत मेरी, बेपनाह इबादत थी फिर भी एक न हो सके
इतना रोई वो मेरी कब्र पे मुझे जगाने के लिए, मै मरता ही क्यो अगर वो थोड़ा रो देती, मुझे Continue Reading..
अगर मेरी माँ और उसकी होने वाली बहू मेरे साथ है, तो इस कमबख्त दुनिया की मेरे सामने क्या औकात Continue Reading..
अगर मोहब्बत नही थी तो बता दिया होता; तेरे एक चुप ने मेरी ज़िन्दगी तबाह कर दी!
Kuch wqt ki rwaani ny hmain yon bdl diya.. Wafa PR ab bhi qaym hain mgr muhabbat chor di hum Continue Reading..
ना पा सका उसे, यू सारी ‘उम्र’ चाहकर, कोई’ ले गया उसे, कुछ ‘रस्मेँ’ निभाकर.
सारी ज़िंदगी रखा है बे-वफ़ा रिश्तों का भरम___!! सच पूछो तो कोई भी अपने “सिवा अपना” न था____!!!
“Mere lafzo ki pehchan agr wo kr lyn” “Inhen mujh se nahi khud se muhabat ho jaye”..
बेकसूर कोई नहीं इस ज़माने मे, बस सबके गुनाह पता नहीं चलते.
rakesh bhinde
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