मन्दिर मस्जिद सी थी मोहब्बत मेरी, बेपनाह इबादत थी फिर भी एक न हो सके
गुज़र गया दिन अपनी तमाम रौनके लेकर. ज़िन्दगी ने वफ़ा कि तो कल फिर सिलसिले होंगे.
जिंदगी में बडी शिद्दत से निभाओ अपना किरदार, कि परदा गिरने के बाद भी तालीयाँ बजती रहे……!!!
ना तुझको खबर हुई ना ज़माना समझ सका, हम तुझ पर, चुपके-चुपके से कई बार मर गये..
फासले कहाँ मोहब्बत को कम कर पाते है ,,,,, बिना मुलाकात के भी कई रिश्ते ,अक्सर साथ निभाते है।
हमने लिया सिर्फ होंठों से जो तेरा नाम.. दिल होंठो से उलझ पड़ा कि ये सिर्फ मेरा है !!
आज नज़र ने आईने को यह बोल कर ठोकर मारी, मुझे खुद की नहीं मेरे मेहबूब की नज़र में संवरना Continue Reading..
Dil kO teri chahat pe bharOsa bhi bOht hai Or tum se bichar jany ka darr bhi nhi jata
तेरी बेरुखी ने छीन ली है शरारतें मेरी और लोग समझते हैं कि मैं सुधर गया हूँ ..!!
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