काश में लौट जाओ बचपन की वादियो में जहाँ कोई न जरूरत थी और ना कोई जरुली था
जब तक ना लगे बेवफाई की ठोकर हर किसी को अपनी पसंद पर नाज़ होता हे
कितने ही दिल तोड़ती है ये फरवरी…, ..यूं ही नही बनाने वाले ने इसके दिन घटाये होंगे… )
~Izhar’E-Ishq Me Aiisa Hua Kuch Wo, Dil Ka Haqdaar To Hua Lekin Mera Naa Hua .. ‘
सिलसिला ये चाहत का दोनो तरफ से था, वो मेरी जान चाहती थी और मैं जान से ज्यादा उसे।
मंजिलो से गुमराह कर देते हैं कुछ लोग हर किसी से रास्ता पूछना अच्छी बात नही !!
कुछ दस्तकें, नींद तोड़ने आती हैं और कुछ… सिर्फ दिल।
-Adat Mujhe Andher’On Se Darne Ki Daal Kar, Aik Shakhs Meri Ziindagi Ko Raat Kar Gaya .. ‘
दोपहर तक बिक गया बाजार का हर एक झूठ , और मैं एक सच लेकर शाम तक बैठा
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