खवाब टूटे मगर हौसले जिंदा है । हम वो है जहाँ मुश्किले भी शर्मिंदा हैं ।
लश्कर भी तुम्हारा है, सरदार भी तुम्हारा है, तुम झूठ को सच लिख दो, अखबार भी तुम्हारा है..!!
जब सुकून नही मिलता दिखावे की बस्ती में… तब खो जाता हूँ मेरे महाकाल की मस्ती में…
मुहब्बत है गर, तो मिज़ाज ज़रा नर्म रक्खो हुज़ूर.. ज़िद्दी होने से, इश्क़ के सुकून में ख़लल पड़ता है..
मन की मैं पौसो से गरीब हु, पर कोई माझे अपना बनाये तो उसके सारे गम खरीद सकता हूं
समय के एक तमाचे की देर है प्यारे मेरी फकीरी क्या, तेरी बादशाही क्या
Tumne Samjha Hi Nahii Aur Na Hii Samjhana Chaha, Hum Chahtey Hii Kya Thay Tumse Tumhare Siiwa ..
Zawaal yeh hai ke tera saath nahin, Kamaal yeh hai ke jee rahy hain..
JiSki nazron mein hum nhi ache….. Kuch toh woh app bhi bUre honge…
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