चलो बिखरने देते है जिंदगी को अब, सँभालने की भी तो एक हद होती है…!
हमको इतना बुरा भी ना समझो तुम…! दर्द लिखने की आदत है देने की नहीं…..!
जी रहे है तेरी शर्तो के मुताबिक़ ए जिंदगी, दौर आएगा कभी, हमारी फरमाइशो का भी….!!
हम जिस्म को नही रूह को वश मे करने का शोक रखते है
तकदीर मेँ ढूंढ रहा था तस्वीर अपनी, न ही मिली तस्वीर, ओकात मिल गई अपनी
दिल तो चाहता हैं में भी किसी से प्यार करू पर मेरी तनख्वा बहोत कम है जनाब
वो सामने आये तो अज़ब तमाशा हुआ; हर शिकायत ने जैसे ख़ुदकुशी कर ली।
क्या खूब मेरे क़त्ल का तरीका तूने इजाद किया.. मर जाऊं हिचकियों से, इस कदर तूने याद किय
पुछा उसने -मुझे, कितना प्यार करते है? मै चुप रहा यारो क्योकि, मुझे तारो की गिनती नही आती..
Your email address will not be published. Required fields are marked *
Comment *
Name *
Email *