-Kya Itne Door Nikal Aaye Hai Hum, Ke Tere Khayalo Me Bhi Nahi Aatey .. ‘
हमने तो एक ही शख्स पर चाहत ख़त्म कर दी .. अब मोहब्बत किसे कहते है मालूम नहीं..
पर्दा गिरते ही खत्म हो जाते हैं तमाशे सारे, खूब रोते हैं फिर औरों को हँसाने वाले.
*तलब ये है कि…. मैं सर रखूँ तेरे सीने पे* *और तमन्ना ये कि….मेरा नाम पुकारती हों धड़कनें तेरी*
मालूम नहीं मुझे मेरी फितरत में क्या है ‘ ये तो वो दिन बताएगा जब मेरे जाने की खभर आएगी.
गलती उनकी नहीं कसूरवार मेरी गरीबी थी दोस्तों, हम अपनी औकात भूलकर बड़े लोगों से दिल लगा बैठे.
ऐ खुदा हिचकियों में कुछ तो फर्क डालना होता अब कैसे पता करूँ कि कौनसी वाली याद कर रही है
जिस के जी में जो आता है कह जाता है… दिल का क्या है सबकी सुन के रह जाता है…
Tumne Samjha Hi Nahii Aur Na Hii Samjhana Chaha, Hum Chahtey Hii Kya Thay Tumse Tumhare Siiwa ..
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