शब्द “दिल” से निकलते हैं… “दिमाग”से तो उसके मतलब निकलते हैं…
दो हिस्सों में बंट गए है, मेरे दिल के तमाम अरमान… कुछ तुझे पाने निकले, तो कुछ मुझे समझाने निकले….
Dil Kare To Phir Se Wafa Karne Aa Jana… Dil Hi To Toota Hai, Jaan To Abhi Baqi Hai…!!
इतनी ठोकरे देने के लिए शुकरि्य़ा ‘ऐ’ जिन्दगी…. चलने का ना सही….. सम्भलने का हुनर ताे आ ही गया….
~ Woh Naah Miltey Toh Acha Tha Bekaar Main [Mohabbat• Sey Nafrat Hogayi .. ‘
ऐ चाँद तू किस मजहब का है . ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा
अब ऩ कोई हमे अपनेपन का यकीन दिलाये, हमें रूह में भी बसा कर निकाला है लोगो ने..
” कितना मुश्किल है मनाना… उस शख्स को .. जो रूठा भी ना हो और… बात भी ना करे…!!
Ehsan Karo To Duao Me Meri Maut Mangna, Ab Ji Bhar Gaya Hai Jindgi Se !
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