शब्द “दिल” से निकलते हैं… “दिमाग”से तो उसके मतलब निकलते हैं…
जाते-जाते वो मुझे अच्छी निशानी दे गया उम्र भर ना दोहरा पाऊ ऐसी कहानी दे गया।
दर्द कहां मोहताज़ होता है शब्दों का बस दो आंसू ही काफ़ी है, बयां करने को…..!!
लोगो के तो दिन आते है पर . हमारा तो जमाना आएगा
नाराज़गी बहुत है हम दोनों के दरमियान … वो गलत कहता है कि कोई रिश्ता नहीं रहा
Glti meri hi thi vo pappi pappi mangti rhi or me kutte ka bachaa dhundta RHA……..
नहीं चाहिए कुछ भी तेरी इश्क़ कि दूकान से, हर चीज में मिलावट है बेवफाई कि..
Soch rakhi han buhat si batein tumahin sunany ko Tum ho y aaty hi nahi hamein manaany kay liye…!!!
वो हमसे पूछते है की ख्वाबो में किसे देखते हो, और हम है की कई उमर से सोए ही नहीं।
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