दर्द तो ऐसे पीछे पड़ा है मेरे,* *जैसे मैं उसकी पहली मोहब्बत हूँ !!*
मेरी दास्ताँ-ए-वफ़ा बस इतनी सी है, उसकी खातिर उसी को छोड़ दिया…
कभी वक्त निकाल के हमसे बातें करके देखना.. हम भी बहुत जल्दी बातों मे आ जाते है…
गर तू पुलिस वाली होती, पा लेते तुझे कुछ ले दे कर।
फ़रियाद कर रही है ये तरसी हुई निगाह, देखे हुए किसी को कई दिन गुज़र गए..
हजारो बार ली हैं तलाशियाँ तुमने मेरे दिल
यूँ तो कोई शिकायत नहीं मुझे तेरे आज से, मगर कभी – कभी बिता हुआ कल याद आता है..
नाम तेरा ऐसे लिख चुके है अपने वजूद पर, कि तेरे नाम का भी कोई मिल जाए….तो भी दिल धड़क Continue Reading..
सोचा था आज कुछ तेरे सिवा सोचूँ तब से सोच में हूँ कि और क्या सोचूँ
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