स्कूल तो बचपन मैं जाते थे अब तो बस ज़िन्दगी सिखाती है
आप जिस पर आँख बंद करके भरोसा करते हैं, अक्सर वही आप की आँखें खोल जाता है.
होने वाले ख़ुद ही अपने हो जाते हैं.. किसी को कहकर, अपना बनाया नही जाता..!!
चंद पन्ने क्या फटे ज़िन्दगी की किताब के. ज़माने ने समझा हमारा दौर ही ख़त्म हो गया.
सुनो ना….हम पर मोहब्बत नही आती तुम्हें, रहम तो आता होगा?
बेवफाई तो सभी कर लेते है जानेमन , तू तो समझदार थी कुछ तो नया करती
मुझे सिर्फ इतना बता दो….इन्तजार करु….. या बदल जाऊ मै भी तुम्हारी तरह….
सोचते थे तुमसे बिछड़ के जी नहीं पायेंगे, हाँ जी तो रहे है “मौत का इंतजार करते करते।”
Socha Tha Uss Se Bichrenge Toh Mar Jayenge, Jaan Lewa Khauf Tha Bas, Hua Kuch Bhi Nahi.
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