भीड़ ते खचा खच भरी होई मैट्रो,
मैं आराम तै खड्या जबे राजीव चौक पै,
दरवाजा सज्जे हाथ ने खुला अर मेरा
ध्यान दरवाजा की तरफ गया
एक 5’7 लांबी छोरी , पिला सूट मड़कन आली जुत्ती ,
आँख्या में शयाई घाल ली, सर पै चुन्नी अर
जब वा चाले तो हवा जब उसके काना धौरे
को गुजरे तो हवा मैं उड़ते उसके बाल ,
नाक में एक छोटा सा कोका, चहरे की एक
साइड उसके डिंपल पड़े अर ठोड़ी आला तिल
उसके गुल्लक से मुह की सुंदरता में 4 चाँद लागण लाग रह्या, अर बेरण जमा टिकाई तै पैर धरदी
होइ आवे अर मैं अपनी दिल की धड़कण
रोक के उसकी तरफ देखण लाग रह्या ,
वा मेरी तरफ़ आगे बढ़ी और भोली सी सकल बनाके
मेरी आँख्या में देख के अपना डिंपल
दिखा के एक घणी प्यारी मुस्कान देके बोली
” आप तो एडमिन हो ना” 😍😍
मेरा साँस ऊपर की ऊपर रह गया
मखा कोये छोरी हमने भी जाणे है 😊
.
.
.
.
.
अरे भाई रेस मारण चलेगा के ?
बेरा नी मैरी सासू का कोणसा था
सारा सपना की इसी तीसी कर गया 😕😑
.
.
चलो कोई नहीँ
तडके तड़क की राम राम सबने


Related Posts

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *