Preet Singh Leave a comment सुबह से लेके शाम तक … शाम से लेके रात तक … रात से फिर सुबह तक … सुबह से फिर रात तक फोन पै मंडया रवै … भाई यां तो तूं कुंवारा है यां तेरी लुगाई गैल्यां ना बणदी . Copy