बस मैं बैठ्या था घणी भीड़ थी एक सुथरी छोरी खड़ी देख कै ना डट्या गया बोल्या :- मैं तन्नै अपणी सीट दे दूं पर तूं सोच्चैगी मैं तन्नै सैट करण की कौशिश करुं हूं ,
बोली ना तो मैं तो ना सोच्चूं ऐसा …
मखा रैहण दे फेर खड़ी रै ..
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आपणै तै जलण आले ब्होत सै,,,, फेर के फर्क पङै सै,,, आपणै पै मरण आले भी ब्होत सै ।
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