एक जाट नै वकालत शुरु कर दी । पहला ही केस जमीन-जायदाद का मिल ग्या ।
कोर्ट में बहस के दौरान सामने वाली पार्टी की तरफ इशारा कर कै बोल्या — जज साहब, इसनै जमीन कोनी मिल सकती, यो तै गैलड़ सै ।
जज साहब की समझ में कुछ नही आया, बोल्या — वकील साहब ये, गैलड़ क्या होता है जरा समझाओ ।
वकील बोल्या — जी समझा तै दूँगा पर आप बुरा मान ज्याओगे ।
जज बोल्या — भाई समझाना तो पड़ेगा, नही तो केस आगे कैसे बढेगा ? जरा विस्तार से समझाओ ।
वकील बोल्या — सुण जज साहब । तेरा बाप मर ज्या अर तेरी माँ मेरे बाप गैल्यां आ-ज्या । फेर पाच्छै-पाच्छै तू भी आ ज्या, तै तू गैलड़ हो-ग्या अर मैं तन्नै चवन्नी भी ना लेवन दूँ आपणे घर तैं । कदे आजमाइश कर-कै देख लिए !!