एक बुढे कै चार-पाँच छोरे,
बुढा मरणासन हो रया, आर वे पाँचु मेरे बटे
सकिम भिडाण लाग रे,
एक बोल्या ‘ रै बाबु मरेगा’
दुसरा बोल्या ‘हाँ भाई मरणन तै होए
रहया स’
तीसरा बोल्या ‘भाई गाँम कि च्याणी त
दुर पडेँगी इतणी दुर नही चालेगा, न्यु
कर ल्यागे ट्रेक्टर म ले चालागे।’
पहलडा बोल्या ‘आछ्या 100 रपये
लेगा ट्रेकटर आला’
दुसरा बोल्या ‘रे बुगी म ले चालागे’
एक बोल्या ‘तेरा झकोई 70
लेगा बुगी आला भी’
चौथा बोल्या ‘रे न्यु कर लियो साईकल क
गेल न सिढी बांध क उसप लुटा लियो’
इब बुढा खाट म पडया पडया सुणन
लाग रया था, उसन देख लिया तेरी खराब
माटी करैगे, कोए कोए साँस आवै था, उसने
जोड के साँस आर मार कै हँगा, होकै
बैठया बोल्या ‘रे मैरी जुती दे दयो, मैँ पैदल
ए डिगर ज्यांगा’