ब्याह आले घर मैं घणखरे रिस्तेदार रात नै छत पै सोवैं थे … एक दारु पीया छौरा अपने दोस्त गैल्यां एक खाट पै सोवै था … उसके तलब उठ्ठी वा बीडी़ लेण निच्चै गया … पाच्छे तै उसका दोस्त उठया अर मूतन चल्या गया …।
इतनै छौरे की बुआ आई अर खाट खाली देख कै उसपै सौगी … छौरा मांग तांग कै बीड़ी पी कै आया अर अन्धेरे मैं दोस्त समझ कै उसपै जम्प मार दी … बुआ नै उठ कै छौरे का झलूस काढ दिआ …।।
अगली रात फेर वा छौरा न्यूए बीडी़ पी कै आया अर रुक्का दे कै बोल्या …. अपणी अपणी खाट पै हो ल्यो भई सारे … नातै फेर बूआ बरगा मूँ बणाओगे