जरा तो शर्म करती तू पगली. मुहब्ब्त चुप चुप के और नफरत सरे आम.
दिल टूटा है मेरा और ख्वाब बिखर गये, दर्द मिला इश्क मे इतना कि जख्मो से हम निखर गये
Saraha hai hmne tujhe apni sarakho pe; Manga hai hmne tujhe apni hr dUa o mein*………
साँस तो लेने दिया करो… आँख खुलते ही याद आ जाते हो..
मोहब्बत नाम पाने का ही नहीं है सिर्फ, कभी कभी सबकुछ खोने को भी मोहब्बत कहते है !
-Koii Toh Aiisa Ho Jo Siirf Mera Ho .. ‘
इक बात बेखौफ मुझसे कहता है आईना , कभी आदमी अच्छे हुआ करते थे तुम भी …..
लोग कहते हैं कि मेरी पसंद खराब है, लेकिन फिर भी मैं तुम्हें पसंद करता हूं.
जरूरी नही हर ख्वाब पूरा हो… सोचा तो उसे ही जाता है जो अधूरा हो….”
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