जरा तो शर्म करती तू पगली. मुहब्ब्त चुप चुप के और नफरत सरे आम.
ज़िन्दगी तो बेवफ़ा है एक दिन ठुकराएगी…!!! . . मौत महबूबा है अपने साथ लेकर जाएगी…!!!
इतनी बेरुखी ना करो कुछ तो रहम करो, तुम पर मरते हैँ तो क्या मार ही डालोगे…
कैसे भुला देते हैं लोग तेरी खुदाई को, या रब! मुझसे तो तेरा बनाया हुआ एक शख्स, भुलाया नहीं जाता……..
आज फिर हँस पड़ी मैं..और रो गया दिल..जब कहा उसने.. कि तुम जैसा गरीब सिर्फ शायरी ही कर सकता है..!!
ज़िंदगी भर मौत के लिए दुआ करते रहे खुद से.. और जब जीना चाहा तो दुआ क़बूल हो गई…!!
उसने महबूब ही तो बदला है फिर ताज्जुब कैसा, दुआ कबूल ना हो तो लोग खुदा तक बदल लेते है।
जिस जिस ने मुहब्बत में, अपने महबूब को खुदा कर दिया, खुदा ने अपने वजूद को बचाने के लिए, उनको Continue Reading..
ना चंपा ना पारो आपना तो एक ही ऊसूल है हर लडकी पे लाईन मारो…
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