स्कूल तो बचपन मैं जाते थे अब तो बस ज़िन्दगी सिखाती है
ज़िंदगी एक सेल्फ़ी जैसी होनी चाहिये, जो कभी कभी Clear ना दिखे, लेकिन Smile हमेशा देती रहे,,
हर रोज़ खा जाते थे वो कसम मेरे नाम की, आज पता चला की जिंदगी धीरे धीरे ख़त्म क्यूँ हो Continue Reading..
*खुद बीमार होकर भी पूछती है तबीयत मेरी…* *माँ कमजोर है थोड़ी लेकिन मजबूत बड़ी है
मुस्कुरा के देखो तो सारा जहाँ रंगीन है। वर्ना भीगी पलकों से तो आईना भी धुंधला दिखता है।।
किसी से जुदा होना इतना आसान होता तो, रूह को जिस्म से लेने फ़रिश्ते नहीं आते..!!
Wo ‘mili bhi to sirf khuda ke darbaar mein, Ab tum hi batao yaaron hum ‘ibaadat karte ya mohabbat’.
हर बार हम पर इल्ज़ाम लगा देते हो मोहब्बत का, कभी खुद से भी पूछा है इतने हसीन क्यों हो। Continue Reading..
सारी उम्र जिस घर को सजाने में गुजार दी , उस घर में मेरे नाम की तख्ती तलक नहीं !
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