अच्छा हुआ तूने ठुकरा दिया .. तेरा प्यार चाहिये था, एहसान नही
मैं खुल के हँस तो रहा हूँ फ़क़ीर होते हुए , वो मुस्कुरा भी न पाया अमीर होते हुये ।।
एहसान किसी का वो रखते नही मेरा भी लोटा दिया . जितना खाया था नमक मेरे जख्मोँ पर लगा दिया
पाना है मुक्काम ओ मुक्काम अभी बाकी है अभी तो जमीन पै आये है असमान की उडान बाकी है !
दो हिस्सों में बंट गए है, मेरे दिल के तमाम अरमान… कुछ तुझे पाने निकले, तो कुछ मुझे समझाने निकले….
इतना टूटा हूँ के छूने से बिखर जाऊँगा, अब अगर और दुआ दोगे तो मर जाऊँगा
~Ab Toh Bas Jaan Dene Ki Baari Haii, Meiin Kaha Tak Saabit Karu Mujh Meiin Bhii Waffa Haii .. ‘
~ Apni Deed Se Mujhe Yoon Umr Bhar Tarsay’Gah Is Baat Pe Meri Ankhon Ne Khud-Kashi Kar Li .. ^
~Gar Tum Jo Saath Aa Gey Hote, Ziindagi Har Tarah Se Mumkin Thi .. ‘
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