ऐ चाँद तू किस मजहब का है . ईद भी तेरी और करवाचौथ भी तेरा
शिकवे तो बहुत है,मगर शिकायत नही कर सकते…!! मेरे होंठों को इजाजत नही है,तेरे खिलाफ बोलने कि !
हमसे मोहब्बत का दिखावा न किया कर, हमे मालुम है तेरे वफा की डिगरी फर्जी है
इतनी बेरुखी ना करो कुछ तो रहम करो, तुम पर मरते हैँ तो क्या मार ही डालोगे…
सुनो तुम दिल दुखाया करो इजाजत है बस कभी भूलने की बात मत करना
मै नही जानता मै क्यो लिखता हूँ, बस ये खाली कागज मुझसे देखे नही जाते
तुम मुझे खून दो, मै तुम्हे आजादी दुन्गा.. तू मुझे Request भेज, मै तुझे तेरे Boyfriend से आजादी दुन्गा l
हाथ की लकीरें भी कितनी अजीब हैं, हाथ के अन्दर हैं पर काबू से बाहर…
शायद हम ने जिंदगी की कीमत को जाना ही नहीं, वरना किसी के लिए खुद को बर्बाद नहीं करते..
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