आज सुबह मेरा एक नया बंगाली दोस्त मेरे घर आया और बोला – “आज हमारा घर भोजन हाय, आप साब ओईयेगा”
मैंने कहा – ठिक है…
मैं बीवी को लेकर वहाँ ठिक 11:30 बजे पहुँच गया…
वहाँ 4-5 बंगाली ढोलक तबला बजा रहे थे, दोपहर 2:30 बजे तक न जाने क्या गा रहे थे, साला कुछ पता नहीं चला…
फिर वो बंगाली दोस्त खड़ा होकर बोला – “आज का भोजन समाप्त हुआ, कोल फिर भोजन है, टाइम से आ जाना…”
बीवी मुझे घूर के देख रही थी…
साले के भजन के चक्कर में बीवी ने शाम का भी भोजन नही दिया