जब अॉफिस की पुरानी मैडम ने चपरासी को *”ओए”* कह कर बुलाया,
तो नई मैडम को उस पर तरस आया..
कहा- “लोग जाने कहां से पढ़ कर आ जाते हैं,
भला *’ओए’* कहकर किसी को कभी बुलाते हैं ?”
बोली, “सुनो, मैं शिष्टाचार निभाऊंगी,
तुम्हें तुम्हारे नाम से ही बुलाऊंगी।”
चपरासी गदगद हो गया, बोला – “आप सरीखे लोगों का ही हम गरीबों को साथ है, मैडम जी मेरा नाम *’प्राणनाथ’* है।”
मैडम जी सकुचाई,
पलभर कुछ ना बोल पाई,
फिर कहा, “इस नाम से अच्छा न होगा तुम्हें बुलाना,
अगर कोई पुकारने का नाम हो तो बताना”
चपरासी बोला ,”मेरे घर में सब मुझे दुलारते हैं,
बीवी से लेकर अब्बा तक सब *’बालम’* कह कर पुकारते हैं।”
मैडम की समझ में कुछ न आया,
एक नया आईडिया लगाया,
बोली , “रहने दो, अब पहेलियां न बुझाओ,
मोहल्लेवाले तुम्हें क्या कहते हैं ये बताओ”
बोला, “मैडम जी, सबका हम दिल बहलाते हैं,
और मोहल्ले में *’साजन’* कहलाते हैं।”
मैडम अब तक ऊब चुकी थी,
ऊहापोह में डूब चुकी थी,
कहा “मुए, ये सब नाम कहां से लिए जाएंगे,
तू ‘सरनेम’ बता उसी से काम चलाएंगे।”
बोला, “मैडम जी क्या करूं,
दुनिया का सब ‘गेम’ है,
आप ‘सरनेम’ से बुलाइए,
*’स्वामी’* मेरा ‘सरनेम’ है”
अब मैडम झल्लाई,
जोरों से चिल्लाई ,
” *’ओए’* मेरा सिर मत खा,
एक कप गरम चाय ले के आ “