आज एक जगह किसी ने ‘लंगड़ा’ आम का ज़िक्र किया तो
दुसरे भाईसाब ने टोकते हुए कहा- ‘दिव्यांग आम कहिये’। ….
आज मुझे महसूस हुआ कि इन्सानित अब भी जिंदा है इस स्वार्थी संसार में ।
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