सांपो के मुक्कदर में.. वो जहर कहाँ, जो आजकल इन्सान सिर्फ बातों मे ही उगलतें है।
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पता नहीं कैसे उसने मुझे छोड़ दिया, वो तो कमीनी…किसी के 5 रू. भी नहीं छोड़ती थी.
je pyr bhi ajeeb h, jo ise jan le…. ye kmbkhat usi ki jaan le leta h….
Mujhko Mujh Mein Jagha Nahi Milti, Tu Hai Maujood Iss Qadar Mujhe Mein.
किसी और का हाथ कैसे थाम लूँ…. वो तन्हा मिल गयी कभी तो क्या जवाब दूँगा…..!!
मेरे कंधे पर कुछ यूँ गिरे तेरे आंसू, कि सस्ती सी कमीज़ अनमोल हो गयी.!!
~ Tu Kya Jaaney Pyaar Mera Tu Jaan Leta To Jaan De Deta .. ^
Tark-e-Ulfat Jo Kia Hai To Sambhalo Khud Ko Kiun Mere Khawabon Me Roz Chale Ate Ho…
रिश्तेदारी की शादी में मिलने वाले पैंट शर्ट का कपड़ा इधर से उधर घूमता ही रहता है सिल नहीं पाता