एक बार एक विदेशी भारत आया। उसने ताजमहल को देखकर किसी से पूछा कि ये ताज महल किसने बनाया? एक आदमी बोला, ‘पता नहीं।’विदेशी ने समझा की ‘पता नहीं’ ने बनाया है। फिर विदेशी ने जयपुर का महल देखा और किसी से पूछा की ये किसने बनाया? किसी ने कहा, ‘पता नहीं?’ विदेशी बोला ये भी पता नहीं ने बनाया बहुत अच्छा बनाया है। फिर वो दिल्ली गया और उधर कुतब मीनार देखा और किसी से पूछा ये किसने बनाई? फिर किसी ने कहा, ‘पता नहीं।’ विदेशी ने सोचा ये भी ‘पता नहीं’ ने बनाया। क्या मस्त इंजीनियर है यार ‘पता नहीं’। मैं ‘पता नहीं’ से जरूर मिलकर जाऊंगा। कुछ आगे चलकर उसको एक जनाजा मिला तो विदेशी ने किसी से पूछा, ‘ये कौन मर गया?’ उस आदमी ने कहा, ‘पता नहीं!’ विदेशी उदास होकर बोला : ‘मेरी तो किस्मत ही खराब है, मिलने से पहले ही पता नहीं मर गया!’


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