शब्द “दिल” से निकलते हैं… “दिमाग”से तो उसके मतलब निकलते हैं…
मिल जायेंगा हमें भी कोई टूट के चाहने वाला अब शहर का शहर तो बेवफा नहीं हो सकता…
Kuch Tu SambhaaL k RaKhTay. MuJh Ko Bhi Kho Diya TuM Ne..
मैं उसका हूँ ये तो सारी दुनिया जान चुकी है, वो किसकी है ये सवाल मुझे सोने नही देता ॥
~सुनो बुरा ना मानो तो मै एक बात कहूँ .. मुझे तुम्हारी ज़रूरत है जिन्दगी के लिये .. ^
~ Meri Zindagii Ke Taliban Ho Tum Be’Maqsad Tabahi Macha Rakhii Haii ..’
~Aaj Ki Shaam Bhii Qayamat Kii Tarha Guzrii, Na’Jane Kya Baat Thii Har Baat Pe Tum Yaad Ay .. ‘
कमाल की मोहब्बत थी उसको हमसे, अचानक ही शुरू हुई और बिन बतायें ही ख़त्म.
शायद कोई तो कर रहा है हमारी कमी पूरी…. तभी तो उन्हें हमारी याद नही आती !
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