पप्पू अपनी बैलगाडी में
अनाज के बोरे लादकर शहर ले जा रहा था।
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अभी गाँव से निकला ही था कि एक खड्डे
में
उसकी गाड़ी पलट गई।
पप्पू गाड़ी को सीधी करने की
कोशिश करने लगा।
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थोड़ी ही दूर पर एक पेड़ के नीचे बैठे
एक ताऊ ने यह देखकर आवाज़ दी,
“अरे भाई, परेशान मत हो,
आ जाओ मेरे साथ पहले खाना खा लो
फिर मैं तुम्हारी गाड़ी सीधी करवा
दूंगा।”
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पप्पू: धन्यवाद,
पर मैं अभी नहीं आ सकता।
मेरा बापू नाराज़ हो जायेगा।
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ताऊ: अरे तुझसे अकेले नहीं उठेगी
गाड़ी।
तू आजा खाना खा ले फिर हम दोनों
उठाएंगे।
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पप्पू: नहीं, बापू बहुत गुस्सा हो
जायेगा।
ताऊ: अरे मान भी जाओ।
आ जाओ तुम मेरे पास।
पप्पू: ठीक है आप कहते हैं तो आ जाता
हूँ।
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पप्पू ने जमकर खाना खाया फिर बोला,
“अब मैं चलता हूँ गाड़ी के पास
और आप भी चलिए।
बापू गुस्सा हो रहा होगा।”
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ताऊ ने मुस्कुराते हुए कहा,
“चलो पर तुम इतना डर क्यों रहे हो?
वैसे अभी कहाँ होगा तेरा बापू ?”
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पप्पू: गाड़ी के नीचे।
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