स्कूल में टीचर ने चौथी क्लास के बच्चों को होमवर्क दिया।
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“कोई स्टोरी सोच के आना और फिर क्लास को बताना कि उससे हमें क्या सबक मिलता है?”
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अगले दिन एक बच्चे ने क्लास में स्टोरी सुनाई:
“मेरा बापू कारगिल की जंग में लड़ा। उस के हेलीकॉप्टर को दुश्मनों ने मार गिराया।
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वो दारू की एक बोतल के साथ पहले ही हेलिकॉप्टर से कूद गया लेकिन बार्डर के पार दुश्मनों के इलाके में जा गिरा। जहां कि उस को घेरने के लिए दुश्मनों की फौज दौड पड़ी।
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बापू ने गटागट दारू की बोतल पीकर खाली की और अपनी बंदूक संभाल ली।
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दुश्मन के सौ फौजियों ने आ कर उसे घेर लिया तो उसने तड़ातड़ गोलियां चला कर दुश्मन के सत्तर फौजी मार ड़ाले।
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फिर उसकी गोलियां खत्म हो गयीं तो उसने बंदूक पर लगी किर्च से दुश्मन के बीस फौजी मार गिराये।
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तब उसने बंदूक फेंक दी और निहत्थे ही बाकी के दस और दुश्मन फौजी मार गिराये और फिर टहलता हुआ बार्डर पार कर के अपने इलाके में आ गया।”
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टीचर भौंचक्का सा उसका मुँह देखने लगा, फिर वैसा ही भौंचक्का सा बोला, “कहानी बढिया है, लेकिन इस से हमें सबक तो कोई नहीं मिलता।”
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“मिलता है न।” बच्चा शान से बोला।
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“क्या सबक मिलता है?” टीचर ने पूछा।
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“यही कि बापू टुन्न हो तो उस से पंगा नहीं लेने का।”


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