आज उसने भी कह दिया मरते हो मुझ पर तो अब तक जिंदा क्यो हो
मेरा वक़्त बोला मेरी हालत को देख कर, मैं तो गुजर रहा हूँ तू भी गुजर क्यों नहीं जाता.
उसने देखा ही नहीं अपनी हथेली को कभी, उसमे हलकी सी लकीर मेरी भी थी।
मैं खुल के हँस तो रहा हूँ फ़क़ीर होते हुए , वो मुस्कुरा भी न पाया अमीर होते हुये ।।
कैसे करूँ मैं साबित…कि तुम याद बहुत आते हो… एहसास तुम समझते नही…और अदाएं हमे आती नहीं…
हम तो पागल है जो शायरी में ही दिल की बात कह देते है.. लोग तो गीता पे हाथ रख Continue Reading..
हाथ मे बस एक ‘बासुँरी’ कि कमी है वरना, गोपिया हमने भी कई ‘फसाई’ है..!!
मुमकिन नहीं शायद किसी को समझ पाना … बिना समझे किसी से क्या दिल लगाना
*यहां लोग अपनी गलती नहीं मानते* *किसी को अपना कैसे मानेंगे…
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