वो रोटी चुरा के चोर हो गया. . . लोग मुल्क खा गए, कानून लिखते लिखते.
Tafseel se kese sunayain yeh qissa mohabbat ka, Ke tum masroof ho ab tak humain barbaad karne mein
क्यों याद करेगा कोई बेवजह मुझे ऐ खुदा , लोग तो बेवजह तुम्हे भी याद नहीं करते !!”
जो लम्हा साथ हैं, उसे जी भर के जी लेना. कम्बख्त ये जिंदगी.. भरोसे के काबिल नहीं है.!
भूख तो एक रोटी से भी मिट जाती माँ, अगर थाली की वो एक रोटी तेरे हाथ की होती
जो आप से दिल से बात करता हो . उसे कभी दिमाग से जवाब मत देना
उड़ा भी दो रंजिशें, इन हवाओं में यारो…. छोटी सी जिंदगी हे, नफ़रत कब तक करोगे !
दुआ करो की..मैं कोई रास्ता निकाल सकूँ… तुम्हे भी देख सकूँ…खुद को भी सम्भाल सकूँ….
Gham_e_khas perr kabhi chup rhy … Kabhi rO diy gham_e_aam per …!!!
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